शनिवार, 5 मार्च 2011

रोगों को दूर करता है गुड़


        गुड़ से सभी परिचित हैं। किसी जमाने में मिठास का एकमात्र साधन गुड़ ही था। जबसे चीनी का आविष्कार हुआ, हम गुड़ के महत्व को भूलते जा रहे हैं। जबकि गुड़ अनेकों रोगों की औषधि भी है। आज भी विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों में गुड़ का प्रयोग किया जाता है। सर्दियों में लोग गुड़ की चाय पीते हैं क्यों कि इस मौसम में गुड़ की चाय पीना काफी लाभदायक होता है। पूजा-अर्चना हवन आदि धार्मिक कार्यों में भी गुड़ का प्रयोग किया जाता है। कड़ी शारीरिक मेहनत करने वालों के लिये गुड़ एक अत्युत्तम आहार है। गुड़ के सेवन करने से थकावट दूर होती है, शरीर में स्फूर्ति आती है। गुड़ अपने विभिन्न चिकित्सकीय गुणों के कारण आज भी अपनी उपयोगिता को बरकरार रखे हुये है, आइये देखते हैं कि गुड़ किन-किन रोगों में लाभदायक है:-
  • एक वर्ष पुराना गुड़ रूचिवर्धक, अग्निवर्धक, लघु एवं वात पित्त नाशक होता है। ज्वर का नाश करने वाला एवं हृदय को बल देने वाला होता है।
  • गुड़ का सेवन करने से स्वास्थ्य उत्तम होता है। कड़ी मेहनत करने वाले व्यक्ति को थकान मिटाने के लिये गुड़ का शर्बत पीना चाहिये।
  • गुड़ में पोटैशियम होने के कारण यह हृदय रोगियों के लिये लाभकारी होता है, एवं कैल्शियम होने के कारण बच्चों के विकास में सहायक सिद्ध होता है।
  • नया गुड़ हल्का खारा, वीर्यवर्धक, बात कफ नाशक होता है मगर यह पित्त एवं रक्त के रोगियों के लिये हानिकारक होता है।
  • गुड़ को गुनगुन पानी में घोलकर उसमें शुद्ध घी की दो बूंदें डालकर सेवन करने से पेट के कृमि बाहर निकल जाते हैं। पेट साफ हो जाता है।
  • कृमि नाशक दवा लेने से पहले गुड़ का सेवन करने से कृमि मृत होकर मलद्वार से बाहर हो जाते हैं।
  • पुराने सूखे गुड़ को महीन पीसकर उसमें सोंठ को मिलाकर सूंघने से प्रमेह में लाभ होता है।
  • नीम की छाल को पानी में उबाल लें जब आठवां हिस्सा शेष बचे तो उसमें गुड़ मिलाकर रात में सेवन करने से मल के साथ कृमि बाहर निकल जाते हैं।
  • 20 ग्राम गुड़ एवं 10 ग्राम आँवला का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है।
  • पुराने गुड़ का लड्डू बनाकर खाने से दुर्बलता दूर होती है, स्त्रियों में गर्भाशय की सफाई होकर नयी स्फूर्ति पैदा होती है।
  • गुड़ को तिल के क्वाथ में मिलाकर सेवन करने से बंद मासिक स्त्राव पुनः प्रारम्भ हो जाता है।
  • आधे सिर का दर्द होने पर 10 ग्राम गुड़ 5 ग्राम देशी घी में मिलाकर सूर्योदय से पहले एवं बाद में सेवन करने से दर्द में आराम मिलता है।
  • एक-एक दिन का गैप देकर आने वाले ज्वर में गुड़ और फिटकरी का चूर्ण मिलाकर छोटी गोलियां बनाकर खाने से पुराने से पुराना ज्वर भी ठीक हो जाता है। यह नुस्खा 95 प्रतिशत कामयाब है।
  • गुड़ में बेल का गूदा मिलाकर सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।
  • गुड़ एवं सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से श्वास एवं दमा में लाभ होता है।
  • गुड़ को गुनगुने दूध में मिलाकर दिन में दो बार पीने से मूत्र खुल कर आता है।
  • खाना खाने के बाद थोड़े से गुड़ का सेवन करने से खाना ठीक से पचता है।
  • गुड़ में हरड़ के चूर्ण को मिलाकर अग्नि प्रदीप्त होती है, जिससे पाचन शक्ति बढ़ती है, और भूख ठीक से लगती है।
  • गुड़ में अजमायन मिलाकर शल्य पट्टी बाँध देने से पांव अथवा किसी अन्य अंग में लगा कांटा, कांच, कंकण आदि बाहर निकल जाते हैं।
  • दो पके हुये केले लेकर इनके गूदे में गुड़, नमक या दही मिलाकर खाने से पेचिश दूर हो जाती है।
  • छोटा बच्चा यदि गलती से तम्बाकू खा ले तो विशाक्तता से बचने के लिये गुड़ अथवा गन्ने का रस बच्चे को पिलायें।


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