अपनी बात : मन में जब कोई कीड़ा कुलबुलाता है तो वही कहानी, कविता, गीत बन जाता है. और जब समाज में ऐसा कुछ होता है जिस पर कुछ कहने को मन करता है, चाहे वह विरोध के स्वर हों या फिर समर्थन के. तो कलम चलती है (आज के समय में कंप्यूटर के की बोर्ड पर उंगलिया) बस विचारो के इसी प्रवाह का नाम है अपनी बात
प्रियजन, परिजन, मित्रजन पायें नव उल्लास, मिले सभी को नव ख़ुशी, नित्य नया विश्वाष. मन में हो नव कल्पना, तन में नव उत्कर्ष सपरिवार हो आपको मंगलमय नववर्ष आशीष मिश्र भारतीय बाल विकास संस्थान,फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश (भारत)