शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

गीत





कभी रोने लगे,
कभी हंसने लगे।
सोये ख्वाब क्यों, 
आज जगने लगे।
कहीं प्यार तो नहीं हो गया है हमें।।..............................

दूर से, दूर से गुनगुनाता कोई,

लग रहा जैसे मुझको बुलाता कोई।
क्या हुआ, कब हुआ,
हम समझ पाये ना।
खोये-खोये से हम क्यों रहने लगे।। कहीं ................

हमको महलों के सुख अब हैं भाते नहीं,
जाने क्यों हम कहीं चैन पाते नहीं।
चुप रहें क्या कहें
और बतलायें क्या
कल्पनाओं की धारा में बहने लगे।। कहीं ...........................................

आइने में भी चेहरा न खुद का दिखे,
देखता हूं जिधर रूप उनका दिखे।
क्या इधर क्या उधर 
हर तरफ वो ही वो।
पास ही हमको हर पल वो लगने लगे।। कहीं .............................

जाते हैं हम कहीं और पहुंचते कहीं,
रूकना चाहें कहीं और रूकते कहीं।
कुछ हुआ, कब हुआ
किससे पूछें ये हम।
जाने हम ये क्या-क्या करने लगे।। कहीं ...........................................