बुधवार, 20 जुलाई 2011

कैसे रहें खुश?

             खुश रहने के लिये क्या आवश्यक है? पैसा! आज के युग में ज्यादातर लोग इस प्रश्न के उत्तर में यही कहेंगे। कुछ लोग प्रेम में भी खुशी तलाशते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि रिश्तों में खुशी को पाना चाहते हैं। अलग-अलग लोगों की अलग-अलग विचारधारा है पर ये निश्चित है कि खुशी की तलाश सभी को है। सभी खुश रहना चाहते हैं, पर खुश रहें कैसे? यह प्रश्न हर उस व्यक्ति के सामने आता है जो जीवन की समस्याओं से दुःखी है और इनसे मुक्ति पाकर प्रसन्न रहना चाहता है, खुश रहना चाहता है। कल्पना कीजिये एक ऐसे व्यक्ति की जो हमेशा खुश रहता है, जिसके मस्तिष्क में किसी प्रकार की कोई चिन्ता नहीं है। यकीनन वह दुनियां का सबसे भाग्यशाली इंसान होगा।
हर व्यक्ति खुशी तलाशता है कोई पैसे में, कोई प्यार में पर यदि आप सोचते हैं कि ढेर सारा पैसा मिल जाने से कोई प्रसन्न रह सकता है तो यह एक भ्रम ही है। यदि पैसा खुशी दे सकता तो दुनिया के सारे अमीर लोग बहुत प्रसन्न रहते। पैसा होते हुये भी उन्हें ढेर सारी चिन्तायें घेरे रहतीं हैं, कहां रह पाते हैं वह खुश? न जाने कितना रूपया तो वह प्रसन्न रहने की कोशिष में खर्च कर देते हैं, पर याद रहे खुशी पैसे से खरीदी जाने वाली चीज नहीं है। खुशी तो हर इंसान के अंदर है बस उसे खोजने की आवश्यकता है। हाँ यदि आपको जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिये भी संघर्ष करना पड़ता है तक तो पैसा आपकी प्राथमिकता में अवश्य ही होगा।
एक शहर में एक आदमी रहता था, वह काफी अमीर था उसके घर से कुछ ही दूर एक किसान रहता था। अमीर आदमी के यहां कई नौकर-चाकर थे। हर चीज उसके पास उपलब्ध थी। फिर भी वह खुश नहीं रह पाता था। कभी व्यापार की चिन्ता, कभी बेटों की चिन्ता, कभी स्वास्थ्य की चिन्ता न जाने उस अमीर आदमी ने खुशी पाने की खातिर कितना रूपया बर्बाद किया, मगर उसे खुशी फिर भी नहीं मिली। एक बार वह अपनी कार से कहीं जाने के लिये निकला कि अचानक उसकी कार एक गांव में एक गरीब किसान के दरवाजे के सामने पहुंच कर खराब हो गई। अमीर आदमी ने अपने ड्राइवर को दूसरी कार लाने भेज दिया और तब तक स्वयं उस किसान के घास-फूस के छप्पर में जाकर बैठ गया। किसान उस समय लेटा था। उस अमीर आदमी को देखकर किसान ने उठकर उसे आदरपूर्वक घड़े का ठन्डा पानी पिलाया, पानी पीकर अमीर आदमी ने किसान से कहा, ‘‘भैया, तुम खेती छोड़कर कोई दूसरा कार्य क्यों नहीं करते, ताकि ज्यादा कमाई हो सके?‘‘
‘‘उससे क्या होगा सेठ जी?’’
‘‘क्या होगा! अरे तुम्हारे पास पैसा होगा तो तुम खुश रहोगे‘‘। सेठ जी ने कहा।
‘‘सेठ जी, क्या आप खुश हैं? आपके पास तो बहुत सारा पैसा है! सारी सुख-सुविधायें है? रही बात मेरी सो मैं तो अभी ही बहुत खुश हूँ‘‘। किसान ने नम्रता पूर्वक अमीर आदमी से कहा।
किसान की बात सुनकर अमीर आदमी चुप रह गया, किसान तो बिना पैसे के ही बहुत खुश है। यदि वह पैसे की चिन्ता शुरू कर दे तो शायद उसकी खुशी उससे दूर हो जायेगी। रह जायेगा तनाव, भागदौड़ और चिन्ता। वास्तव में प्रसन्नता तो हमारे अंदर ही है, बस उसे पहचानने की जरूरत है इसी संदर्भ में एक प्रचलित कहानी है कि एक लड़का इसलिये दुःखी था कि उसके पास जूते नहीं था, मगर उसकी सोच और दुःख उस समय एकदम खत्म हो गया जब उसने एक ऐसे लड़के को देखा जिसके पैर ही नहीं थे। कुल मिलाकर हर व्यक्ति खुश रहने की कला को अपना सकता है, चाहे वह अमीर हो अथवा गरीब। आइये खुश रहने की इस कला को हम जाने, समझें और सदा खुश रहें:-

मुस्कराते रहे:- खुश रहने की पहली सीढ़ी है कि आप हमेशा मुस्कराते रहें। मुस्कराने की यह आदत आपको आपके अंदर से बाहर ले आती है, मुस्कराने की इस कला के कारण बहुत से घाव शीघ्र भर जाते हैं। मुस्कराकर देखिये, आपकी जिन्दगी अपने आप मुस्कराने लगेगी।

नियमित व्यायाम करें:- नियमित व्यायाम व्यक्ति को आनन्ददायक अहसास से भर देता है। व्यायाम न केवल शारीरिक रूप से व्यक्ति को चुस्त-दुरुस्त रखता है बल्कि इससे मानसिक रूप से भी आदमी संतुष्ट रहता है। प्रातः थोड़ी देर के लिये कहीं हरी-भरी जगह पर टहलने निकल जाये। प्रकृति का साथ और सुबह का मनमोहक वातावरण पाकर मन खुशी से झूम उठता है।

पॉजिटिव सोचें:- मदर टेरेसा ने कहा था कि आज के समय में कोढ़ भी उतनी भयंकर बीमारी नहीं जितनी कि लोगों में अपने आपको गैर जरूरी समझने की बढ़ती सोच है। मुझे क्या? मेरी कौन सुनता है? मुझसे किसी को कोई मतलब ही नहीं‘‘। जैसे विचार आपके साथ-साथ परिवार के अन्य लोगों की खुशी में भी बाधक बनते हैं। अपने मस्तिष्क में निगेटिव विचारों को जगह न बनाने दें। हमेशा सकारात्मक सोचें। अपने लिये कुछ समय खाली बचाकर रखें, जब आप स्वयं अपने प्रभाव में आ जाते हैं तो आपको जीने का उद्देश्य प्राप्त हो जाता है और फिर आप सब-कुछ करने के लिये स्वतंत्र हो जाते हैं, खुलेपन और स्वतंत्रता का यह अहसास व्यक्ति को खुशी से भर देता है।

छोटी-छोटी चीजों में खुशी तलाशे:- अपने जीवन की उन छोटी-छोटी चीजों को पहचाने जो आपको खुशी देतीं हैं। जैसे सूरज को उगते हुये देखना, पंक्षियों की चहचहाट सुनना, सुबह-सुबह घास पर नंगे पैर चलना। इन सबके लिये जरूर वक्त निकालें क्यों कि खुशियां जीवन का हर पल प्रसन्नता से जीने पर निर्भर करतीं हैं।

खुशमिजाज लोगों से मिलें:- दरअसल जीवन में कई तरह के लोगों से वास्ता पड़ता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो स्वयं तो कुछ नहीं ही करते हैं, और आपको भी हर कार्य के लिये आलोचनाओं से घेरे रहते हैं, इसलिये जरूरी है कि ऐसे लोगांे से मिलना जुलना हो सके तो बंद अथवा कम कर दें जो कि आपकी जिन्दगी को दुःखद बना देते हैं। केवल सकारात्मक सोच वाले लोगों को ही अपने संपर्क के दायरे में आने दें, क्यों कि ऐसे लोग दुःख के क्षणों में भी खुश रहना जानते हैं।

प्यार करें:- प्यार शब्द ही कितना मधुर है। प्यार करें से मतलब सिर्फ इतना ही नहीं है कि लड़का-लड़की ही एक दूसरे को प्यार करें। प्यार के तो कई रूप हैं, मां-बाप, भाई-बहन, दोस्तों का प्यार, पालतू जानवरों से प्यार आदि प्यार के अनेकों रूप हैं। आप जिसे प्यार करेंगे, वह भी आपको प्यार करेगा ही और इस प्रकार आपको खुशियों की अनोखी अनुभूति होगी। हां सबसे पहले अपने आप से प्यार करना कतई न भूलें।

रिश्तों में भी है खुशी:- इंसान जब-धरती पर आता है तो अकेला आता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है अनके रिश्ते जुड़ते चले जाते हैं। युवा होते-होते रिश्तों की एक लम्बी कतार खड़ी हो जाती है। जाने कितने रिश्ते बन जाते हैं और रिश्ते बनने का यह सिलसिला अनवरत चलता ही रहता है। जब रक्षा बंधन पर भाई बहन से मिलने आता है तो बहन खुशी से झूम उठती है, परदेश गया बेटा जब वापस आता है तो मां-बाप प्रसन्न हो जाते हैं, रिश्तों में असीमित खुशी है बस उसे महसूस करने की जरूरत है।

‘‘हर आरजू है छोटी और जिन्दगी बड़ी है।
वो सामने नजर के देखो खुशी खड़ी है।
आवाज दो बुला लो।।