मेरी कवितायेँ और गीत



                                   शाम ढलने लगी
शाम ढलने लगी, मैं मचलने लगी।
नींद आयी न मुझको टहलने लगी।।
जब से तुमसे मिली जाने क्या हो गया,
नींद आये न मुझको, है दिल खो गया।
खोया-खोया समां मुझको लगने लगा,
बहकी-बहकी हवा मुझको लगने लगी।।
करूं क्या मैं कुछ भी समझ आये ना,
मुझको तेरे सिवा कुछ नजर आये ना।
तुमसे नजरें मिलीं मेरी जिस पल सजन,
मैं उसी पल से कुछ-कुछ बदलने लगी।।
पेड़ पौधे भी मुझसे हैं कुछ कह रहे,
हाय हालत पे मेरी हैं ये हंस रहे।
फूल मुस्का रहे, चांह हंसता रहे,
                                          चांदनी रात देखो महकने लगी।।
हूं कहां और क्या अब नहीं होश है,
तन भी मदहोश है, मन भी मदहोश है।
है लगी आग तक में बुझा आ के तू,
बन के शोला ये दिल में महकने लगी।।
शाम ढलने लगी, मैं मचलने लगी।
                                                नींद आयी न मुझको टहलने लगी।।



हैं गीत मेरे..........

हैं गीत मेरे लेकिन आवाज नहीं इनमें,
आवाज नहीं इनमें कोई साज नहीं इनमें।

मेरे भी गीतों को आवाज कोई दे दो,
मधुर-मधुर मीठा सा साज कोई दे दो।
गीतों में अकेलापन, कोई साथ नहीं इनमें........................।।

अब और नहीं बंधना, दुनियां की रीतों में,
सूनापन है, पतझड़ है मेरे इन गीतों में।
गीतों में नहीं सावन, बरसात नहीं इनमें ..............................................।।

आंसू तड़पन है एक घुटन,
गीतों में भरी है एक चुभन।
खुशियों का जरा सा भी आभास नहीं इनमें..................................।।

बस गीत ही हैं साथी, कोई और न दूजा है।
एक और बताऊं तुमको, क्या इनमें अजूबा है।
गीतों में धड़कन पर श्वास नहीं इनमें....................................................।।

हैं गीत मेरे लेकिन आवाज नहीं इनमें ...................
अवाज नहीं इनमें, कोई साज नहीं इनमें....................

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                   रिश्तों के आइने
कभी जाने या अनजाने में,
कोई बात कह जाते।
रिश्तों के आइने हैं,
ये पल भर में दरक जाते।।
कोई समझे या ना समझे,
कोई माने य ना माने।
यही रिश्तों की फितरत है,
कि पल भर में बदल जाते।।
कुछ भी कैसे कहूं,
अब तो चुप ही रहूं।
बदलते वक्त के रिश्ते,
किसी की भी न सुन पाते।।
कि कोई रूठ जाता है,
तो कोई छूट जाता है।
समझ में कुछ नहीं आता,
कि जब रिश्ते बदल जाते।।
विरासत मंे हो पाये,
या हो खुद ही बनाये।
महल हैं ऐसे रिश्तों के,
जो ना गिर के संभल पाते।।
अगर रिश्ते निभा पाओ,
पास जा पास ला पाओ।
तो खुशबू रिश्तों में इतनी,
कि घर आंगन महक जाते।।


दोस्ती

फूलों सी नाजुक चीज है दोस्ती, 
सुर्ख गुलाब की महक है दोस्ती,
सदा हँसने हँसाने वाला पल है दोस्ती,
दुखों के सागर में एक कश्ती है दोस्ती,
काँटों के दामन में महकता फूल है दोस्ती,
जिंदगी भर साथ निभाने वाला रिश्ता है दोस्ती 
रिश्तों की नजाकत को समझती है दोस्ती,
रिश्तों में विश्वास दिलाती है दोस्ती,
तन्हाई में सहारा देती है दोस्ती,
मझधार में किनारा है दोस्ती,
जिंदगी भर जीवन में महकती है दोस्ती,
किसी-किसी के नसीब में आती है दोस्ती,
हर खुशी हर गम का सहारा है दोस्ती,
हर आँख में बसने वाला नजारा है दोस्ती.

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